औरत भी गुडिया भी

Friday, March 4, 2011
औरत को गुडिया समझने की तारीख  बहुत पुरानी है, कभी वो  जिस्म समझी गयी और कभी जिंक्स |

पंचाल में उसे द्रौपती कहते थे,  मर्द उसे जुए में हार गए थे, जुए में हारे मर्द लेकिन सरे दरबार कपडे उसके उतारे गए |

इंदौर में वो शाहबानो कहलाती थी, इस मुल्क के मर्दों ने मुल्क का संविधान बदल दिया, ताकि उसे तलाक देने वाले मर्द को उसे खर्चा  न देना पड़े |

मुज़फ्फर नगर में वो इमराना कहलाती थी, ससुर कहलाने वाले मर्द ने उसके साथ बलात्कार किया, और फतवा देने वाले मर्दों  ने उसके बाद उसके ससुर को उसका शौहर घोषित कर दिया |

इस  पूरे मुल्क  में वो अपना रोल अदा कर रही है, गुडिया का रोल, यह खेलने वाले की मर्ज़ी के ऊपर  है
 कौन कौन खेलेगा कब तक खेलेगा कैसे खेलगा |

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