No-Title-Decide-Your-self

Sunday, October 23, 2011
कभी अटल के कमल  में ढूंढा, कभी मनमोहन के हाथ में
ममता की ममता और माया की माया समझ नहीं पाए
मोदी का उपवास, अडवानी की यात्रा
और राहुल बाबा का दलित के घर में सोना
सिर्फ stunt   से ज्यादा कुछ नहीं लगा,
भारत उदय का अंग्रेजी version   india shining   सिर्फ एक सपना सा लगा

फिर नाजाने कहा से एक 70 साल का बूढा फ़कीर आया, जिसके आगे पीछे कोई नहीं  था
जो 10 बाई 10  के कमरे में रहता था और मंदिर में सोता था
उसने लूट के खिलाफ आवाज़ उठाई और पूरा देश उसके पीछे चल पड़ा

सियासी गलियारों में हडकंप मच गया, 
किसी ने फ़कीर पे कीचड फेंका, तो किसी ने उसके साथियों पे
जनता को सब बेमानी लगा , सियासी  मेह्खामे की बू अब जनता नहीं सहने वाली थी
मिस्र, तुनीसिया आदि  क्रांतियों के उस दौर में जनता ने  एक बात कही
असली क्रान्ति किसे कहते हैं वो अब देखो
सब बूढ़े फ़कीर के साथ चलने लगे,
सबके हाथों में तिरंगा, सर पे " मै अन्ना हूँ"  की टोपी और जबान पे सिर्फ एक बात

जन लोकपाल!

ऐसा लगा मानो 121  करोड़ का लोकतंत्र सिर्फ एक इंसान में आकर समां गया हो
 




How to get facebook time-line

Friday, September 23, 2011
Currently facebook time line is only for developers, but you can get it for your self, just follow the below steps













At this point open Facebook.com  in another window or tab, A message that will appear saying 'Try Timeline'



Hum Ladenge Saathi

Tuesday, August 16, 2011
Hum ladenge saathi udaas mausam ke liye
Hum ladenge saathi gulaam echaao ke liye
Hum ladenge jab tak Duniya mein Ladne ki zaroorat hai
Hum ladenge saathi………………………..


Hum ladenge saathi
Ke ladane ke bagaer kuch nahi milta

Hum ladenge saathi
Ke ab tak lade kyun nahi

Hum ladenge saathi
Apni saja kabulne ke liye
Ladate hue jo mer gaye, Unki yaad zinda rakhane ke liye

Hum ladenge saathi
Un cheejo ke jinhe hum aaj tak
Baejubaan hokar sunte rahe

Hum ladenge saathi un ek-ek gadaaro
Se apna badla pura karne ke liye

Hum ladenge saathi Un sahido ka badla pura karne ke liye

Hum ladenge saathi
Apni “Matra Bhoomi “ ke liye

Hum ladenge saathi
Apne aatma samaan ke liye

Hum ladenge saathi desh ki unnati ke liye
Hum ladenge saathi

चम् चमता भारत (my presentation@Ndtv)

Sunday, March 20, 2011
नफस नफस कदम कदम
बस एक फ़िक्र दम बा दम
घिरे हैं सवाल से हमे जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है
की इंक़लाब चाहिए
इंक़लाब का झंडा इस देश में सबसे पहले मंगल पाण्डेय ने 1857  में उठाया था
जिसे बाद में गांधी  जी ने संभाला
गांधी जी, जिन्हें एक भजन बहुत पसंद था
वैष्णवा  जन  तो  तेने  कहिये, जे पीड  पराई  जाने  रे
मतलब असली वैष्णव,  यानी हिन्दू वो हैं, जिन्हें दूसरों के दर्द का एहसास हो
हिंदुस्तान की सरकारों को दूसरों के दर्द का एहसास है या नहीं यह हमे नहीं मालूम
70 करोड़ से अधिक हिन्दुस्तानी 22Rs रोजाना पे जिंदा हैं, इसके बावजूद सबसे ज्यादा Engineers और Doctors हर साल इसी देश में बनते हैं
एक भारत के अन्दर दो भारत हैं
एक रंगीन चमचमाता जिंदादिल, जिसकी हर शाम malls में और रातें multiplex में गुज़रती हैं
एक दूसरा भारत भी है, जहाँ भूख  है, अशिक्षा है, गन्दगी है, जहाँ गरीबी ज़िन्दगी के साथ  जोंक की तरह चिपकी हुई है
शकील बदाइउन  ने लिखा था
"जवान जवान हंसी हंसी, यह लखनऊ की सरज़मीन"
पर यह बात लखनऊ पे नहीं बल्कि पूरे भारत पे लागू होती है
दरअसल भारत एक एहसास है जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है