कभी अटल के कमल में ढूंढा, कभी मनमोहन के हाथ में
ममता की ममता और माया की माया समझ नहीं पाए
मोदी का उपवास, अडवानी की यात्रा
और राहुल बाबा का दलित के घर में सोना
सिर्फ stunt से ज्यादा कुछ नहीं लगा,
भारत उदय का अंग्रेजी version india shining सिर्फ एक सपना सा लगा
फिर नाजाने कहा से एक 70 साल का बूढा फ़कीर आया, जिसके आगे पीछे कोई नहीं था
जो 10 बाई 10 के कमरे में रहता था और मंदिर में सोता था
उसने लूट के खिलाफ आवाज़ उठाई और पूरा देश उसके पीछे चल पड़ा
सियासी गलियारों में हडकंप मच गया,
किसी ने फ़कीर पे कीचड फेंका, तो किसी ने उसके साथियों पे
जनता को सब बेमानी लगा , सियासी मेह्खामे की बू अब जनता नहीं सहने वाली थी
मिस्र, तुनीसिया आदि क्रांतियों के उस दौर में जनता ने एक बात कही
असली क्रान्ति किसे कहते हैं वो अब देखो
सब बूढ़े फ़कीर के साथ चलने लगे,
सबके हाथों में तिरंगा, सर पे " मै अन्ना हूँ" की टोपी और जबान पे सिर्फ एक बात
जन लोकपाल!
ऐसा लगा मानो 121 करोड़ का लोकतंत्र सिर्फ एक इंसान में आकर समां गया हो
ममता की ममता और माया की माया समझ नहीं पाए
मोदी का उपवास, अडवानी की यात्रा
और राहुल बाबा का दलित के घर में सोना
सिर्फ stunt से ज्यादा कुछ नहीं लगा,
भारत उदय का अंग्रेजी version india shining सिर्फ एक सपना सा लगा
फिर नाजाने कहा से एक 70 साल का बूढा फ़कीर आया, जिसके आगे पीछे कोई नहीं था
जो 10 बाई 10 के कमरे में रहता था और मंदिर में सोता था
उसने लूट के खिलाफ आवाज़ उठाई और पूरा देश उसके पीछे चल पड़ा
सियासी गलियारों में हडकंप मच गया,
किसी ने फ़कीर पे कीचड फेंका, तो किसी ने उसके साथियों पे
जनता को सब बेमानी लगा , सियासी मेह्खामे की बू अब जनता नहीं सहने वाली थी
मिस्र, तुनीसिया आदि क्रांतियों के उस दौर में जनता ने एक बात कही
असली क्रान्ति किसे कहते हैं वो अब देखो
सब बूढ़े फ़कीर के साथ चलने लगे,
सबके हाथों में तिरंगा, सर पे " मै अन्ना हूँ" की टोपी और जबान पे सिर्फ एक बात
जन लोकपाल!
ऐसा लगा मानो 121 करोड़ का लोकतंत्र सिर्फ एक इंसान में आकर समां गया हो